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लेखनी प्रतियोगिता -09-Mar-2023 दहेज़ कीमत मर्द की



शीर्षक = दहेज़ कीमत मर्द की





बचाओ, बचाओ मुझे बचाओ कोई है,,,,, मुझे बचाओ,,, बचाओ, बचाओ इस तरह की दर्द भरी चीखो से सारा वातावरण गूँज उठा था


रात के ढ़ाई बज रहे थे और मौसम गर्मी का था। चारों तरफ पसरा सन्नाटा और उस सन्नाटे को चीरती हुयी दर्दनाक चीखे पल भर को तो लोगो को लगा मानो वो कोई सपना देख रहे है


ये कोई कहानी नहीं बल्कि एक हकीकत है, जो की आज से बहुत साल पहले घटित हुयी थी, हमारी आँखों देखी तो नही क्यूंकि उस समय हम बहुत छोटे थे, लेकिन हाँ हल्का हल्का याद है


जैसा की हमने बताया की गर्मी का महीना था,और उन दिनों गर्मी भी बहुत भयंकर वाली थी, न दिन में चेन मिलता था और न ही रात को सुकून, लाइट भी बस न के बराबर आती थी, इसलिए लाइट के भरोसे कोई नहीं रहता, हमारा घर बड़ा था इसलिए सूरज ढलते ही कच्ची मिट्टी पर पानी का छिड़काऊ होता और उसके बाद अंदर से सारे पलंग ( खाट ) बिस्तर करके बाहर आ जाते और खाने के बाद मछरदानी लगा कर हाथ वाला पंखा झल कर सोने की कोशिश की जाती थी


जहाँ पंखा रुका वही आँख खुल जाती थी, और मछरदानी के बाहर मछर रात पर गाने बजाते रहते थे।


गर्मी के दिनों में सबसे ज्यादा गहरी नींद भोर के समय या उससे पहले आती है, ज़ब मौसम थोड़ा तब्दील हो जाता है, यही वो समय होता है रात भर गर्मी से लड़ कर थक हार कर हर कोई गहरी नींद में चला जाता है, फिर उसकी आँख सुबह को चिड़ियों की आवाज़ से ही खुलती थी



ऐसा ही एक दिन था, ज़ब सब लोग गहरी नींद में कोई ऊपर छत पर तो कोई नीचे आँगन में सो रहा था, हमारे घरों के पीछे दुसरे मोहल्ले से कुछ दर्दनाक चीखो की आवाज़े सुनाई दी जिस तरह की हमने ऊपर बताई है, मानो कोई शख्स बहुत बुरी तरह से किसी हमले का शिकार हो रहा है


लोगो नींद में इतने गहरे सो रहे थे कि सब को लगा रहा था मानो वो सपना देख रहे है,


लेकिन तब ही हमारी अम्मी की आँख खुली तो उन्होंने पाया की कोई हकीकत में चीख रहा है, उन्होंने तुरंत हमारे बढ़े भाई को उठाया उन्होंने भी ध्यान से सुना तो पाया की कुछ तो गड़बड़ है,


इस बात की पुष्टि करने के लिए आँगन में लगी सीड़ी से सब घर वाले छत पर चढ़ गए, सब इतनी हड़ बड़ा हट में सीड़ी पर चढ़े की हमारी बास की सीड़ी भी टूट गयी थी


लेकिन ज़ब छत पर चढ़े तो मंजर कुछ और था, छत पर से वो आवाज़े और ज्यादा आ रही थी, आस पड़ोस के लोग जो छत पर सो रहे थे वो भी उठ कर बैठ गए और उन चीखो की तेह तक पहुंचने की कोशिश करने लगे


ये तो साफ जाहिर था की वो आवाज़ किसी महिला की थी जो की किसी तकलीफ में थी और तो और वो चीखे कम और बढ़ती हो रही थी जिससे अंदाजा लगाया जा सकता था की वो महिला भाग रही थी किसी से बच कर



बहुत देर बाद पुलिस की गाड़ी भी आन पहुंची शायद पुलिस राउंड पर निकली थी या फिर किसी ने मोबाइल से फ़ोन कर दिया होगा हम छोटे थे इसलिए ज्यादा आगे या नीचे नहीं उतरे जबकी हमारे बढ़े लोग सब कुछ देख आये थे


उस समय तो किसी ने कुछ नहीं बताया क्यूंकि रात काफी हो चुकी थी, लेकिन अगले दिन हम ने घर वालों को बाते करते सुन लिया था जिसमे वो बता रहे थे कि कुछ दिन पहले ही तो वो लड़की शादी होकर आयी थी, मोहल्ले वालों ने बताया की शादी के कुछ दिन बाद ही बेचारी को दहेज़ न लाने के ताने मिलने लगे थे, ऐसा नहीं था की वो खाली हाथ आयी थी अपने घर से कुछ लोग तो उसकी बारात में भी गए थे, बहुत अच्छी तरह से खातिर दारी भी की थी बारतियों की और जितना हो सका था उतना दिया भी था अपनी बेटी को एक बाप ने लेकिन शायद उन लालची लोगो के लिए वो कीमत कम थी अपना बेटा बेचने की जिस लिए कुछ दिन बाद ही उसे ताने मिलने लगे थे


मोहल्ले वालों ने बताया की उसकी दो बहने और भी थी जो की उससे छोटी थी, उसके पिता के ऊपर उनकी भी शादी का ज़िम्मा था वो चाह कर भी अपने पिता से कुछ नहीं कहती थी उसने अपना घर बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन उसके पति और ससुराल वाले उस रात उसका खेल खत्म करने वाले थे उसकी किस्मत बहुत अच्छी थी जो वो उनके चुगल से बच कर भाग निकली उन जालिमो ने रात का वही पहर चुना था जिसमे सब लोग गहरी नींद में होते है, लेकिन कहते है न जिसे खुदा न मारे उसे कौन मारे,


उसने सब कुछ पुलिस को बता दिया था जिसके बाद उन सब को जैल हो गयी और उसने तलाक ले लीं थी



ये एक सत्य घटना है,


इस बात को काफी अरसा गुज़र गया ज़ब से लेकर अब तक न जाने कितनी ही बहु बेटियों को उनके माता पिता द्वारा अच्छी रकम में उनका दूल्हा न खरीद पाने की वजह से जला दिया गया, कभी मार दिया गया तो कभी कभी इससे भी बुरा किया


कितनी ही सरकारे आयी न जाने कौन कौन से कानून पारित कर दिए लेकिन आज तक दहेज़ को लेकर किसी ने भी कोई कानून नहीं बनाया अमीर लोग दिल खोल कर अपनी बेटियों को दहेज़ देते है जिन्हे दहेज़ देता देख दूसरों लोगो की आँखों में भी वही बस जाता है और वो भी ऐसे ही घर में रिश्ता करना चाहते है, गरीब बेचारा अपनी बेटियों का दहेज़ इकठ्ठा करता रह जाता है जो कुछ रह जाता है उसी का ताना उसकी बेटी को मिलता रहता है उम्र भर और फिर एक दिन ऐसा आता है कही से   फांसी पर झूलती आमना का जनाजा निकलता है तो कही जहर खायी आशा की अर्थी पड़ी होती है तो फिर कही अस्पताल में आग से झूलसी हुयी अमनदीप कौर पड़ी होती है, सबकी वजह दहेज़


कितना अच्छा हो की सरकार आये दिन नये कानून बनाती रहती है, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा भी लगाती है, एक कानून ऐसा भी बना दे जहाँ इस कुप्रथा को अंजाम देने वालों के हाथ में हथकड़ी आ जाए और हमारा पूरा देश इस प्रथा से मुक्त हो जाए क्यूंकि इस प्रथा में वो लोग भी गेहूं में घुन की तरह पिस जाते है जो दहेज़ के तो खिलाफ होते है लेकिन दुसरे लोगो की बातों में आकर वो भी इस प्रथा का हिस्सा बन जाते है


शादी एक बहुत ही प्यारा बंधन है, लेकिन ये बारतियों का स्वागत, दहेज़,रंग बिरंगे खाने, स्टार्टर, लंच सब अमीरो के चोचले इन लोगो की वजह से ही गरीब की बेटी घर बैठी रह जाती है, क्यूंकि ज़ब तक गरीब दहेज़ का बंदोबस्त करता है तब तक कुछ और नया चल जाता है मार्किट में


शादी को इतना मुश्किल बना दिया है इस दिखावटी ज़माने ने जिसके चलते ही आज कल भाग कर शादी करने का या फिर लिविंग रिलेशन शिप आम हो गया है, क्यूंकि ताली दोनों हाथो से बजती है  जिस प्रकार लड़के वाले चाहते है की उनके बेटे को दहेज़ मिले उसी प्रकार लड़की वाले भी चाहते है की 25,26 साल के लड़के में उन्हें पूरी दुनिया मिल जाए लड़का सक्सेसफुल हो, अच्छा कमाता हो, खाता हो, घर अपना हो, सरकारी नौकरी हो तो सोने पर सुहागा।


पहले के लोग अच्छे थे जो की सिर्फ लड़के लड़की में संस्कार देखते थे, और दोनों की शादी कर देते थे



किसी को मेरी इस बात का बुरा लगा हो तो माफ़ी चाहता हूँ, लेकिन यही आज की सच्चाई है,



समाप्त......



प्रतियोगिता हेतु 



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7 Comments

Gunjan Kamal

12-Mar-2023 09:10 AM

सुंदर प्रस्तुति

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Varsha_Upadhyay

10-Mar-2023 04:49 PM

बेहतरीन

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Ajay Tiwari

10-Mar-2023 09:28 AM

Very nice

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